अब उस कान्फरेंस की हू- ब -हू बातें याद नहीं हैं। का रमेश सिन्हा जो तब दूसरी कम्यूनिस्ट पार्टी मे थे इस संगठन के प्रधान के पद से मुक्त होना चाहते थे। का आर एन मिश्रा शायद महासचिव थे। लखनऊ से आने वालों मे उस समय के जिला मंत्री (जो बाद मे प्रदेश सचिव भी रहे और अब राष्ट्रीय परिषद के सदस्य हैं)का अशोक मिश्रा ,एवं लखनऊ विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष का अतुल ‘अंजान'(जो बाद मे प्रादेशिक नेता रहे और अब राष्ट्रीय सचिव मण्डल के सदस्य हैं) का मुझे ध्यान है। एक वकील साहब मैनपुरी के थे जिनकी पत्नी का उर्मिला राजपूत शायद 6 0-70 महिलाओं का जत्था ले कर आयीं थीं शायद वह अब भाजपा मे हैं,कल्याण सिंह के जमाने मे जातिवाद के कारण चली गईं होंगी।
समारोह मे डा हेमलता स्वरूप (आचार्य नरेंद्र देव महाविद्यालय की तत्कालीन प्राचार्या और पूर्व कुलपति कानपुर विश्वविद्यालय) की भी शायद महत्वपूर्ण भूमिका थी। उनके पुत्र का अरविंद राज स्वरूप भी काफी सक्रिय थे और का हरबंश सिंह को भी दौड़-धूप करते देखा गया था।
दिन-रात का भोजन ठहराव -स्थल पर ही था। अगले दिन चुनाव भी हुआ। का अशोक मिश्रा जी को किसी महत्वपूर्ण पद पर का सिन्हा ने प्रस्तावित किया था जिसे उन्होने स्वीकार कर लिया था परंतु का अतुल ‘अंजान’ ने पहले पद लेने से इंकार किया था। परंतु बड़े नेताओं के आग्रह पर बाद मे मान गए थे। इस दिन कान्फरेंस कुछ जल्दी समाप्त हो गई थी और लौटने की गाड़ी रात की थी। हालांकि चलते समय मै भुआ के घर का पता बाबूजी से लेना भूल गया था परंतु पहले घर का उनका पता मालूम था। डा शर्मा जी से अनुमति लेकर मै भुआ के घर के लिए चला उनके पहले वाले मकान मालिक शरीफ थे और उन्होने नया पता दे दिया -111/4,हर्ष नगर,इंजीनियर्स पेट्रोल पंप के सामने । भुआ-फूफाजी तो थे ही लाखेश भाई साहब -भाभी जी उनकी बेटियाँ-वर्षा,स्वाती सभी मिले। (यह वही लाखेश भाई साहब हैं जो अब हमारे घर से सवा किलो मीटर की दूरी पर हैं परंतु संपर्क नहीं रखना चाहते)। उस समय लाखेश भाई साहब ने खाना जबर्दस्ती खिलवाया और अपने स्कूटर से मुझे ठहराव-स्थल पर पहुंचा दिया। वहाँ साथी का ने मेरे खाने का भी प्रबंध रख छोड़ा था जब की उस दिन रात का खाना जल्दी दे दिया गया था। मै दोबारा तो खा नहीं सकता था परंतु साथियों की बात रखने के लिए मीठा ले लिया था।
भुआ-फूफा जी ने शालिनी और यशवन्त को भी लेकर आने को कहा था। और इत्तिफ़ाक से सितंबर मे मामा जी के छोटे बेटे शेष की शादी मे लखनऊ आना हुआ तब लौटते मे कानपुर भुआ के घर उन लोगों को लेकर गए थे। ब्यौरा अगली बार…..